কুয়োতে লাফিয়ে পড়েছে অভাগিনী
*সর্বেশ্বর দয়াল সাক্সেনা


কাজ না পেয়ে
নিজের তিন ক্ষুধার্ত বাচ্চাকে নিয়ে
কুয়োতে লাফিয়ে পড়েছে অভাগিনী
কুয়োর পানি শীতল ছিল।


বাচ্চাদের লাশের সাথে
বের করা হয়েছে অভাগিনীকে কুয়ো থেকে
বাইরের বাতাস শীতল ছিল।


হত্যা বা আত্মহত্যার অভিযোগে
দাঁড়িয়েছিল অভাগিনী আদালতে
আদালতের দেয়াল শীতল ছিল।


তারপর জেলেও পড়ে ছিল
অভাগিনী কোমরে দরি বাঁধা
জেলের আকাশ শীতল ছিল।


কিন্তু আজ যখন ও জেলের বাইরে
তখন জানা গেল
যে সব কিছু শীতলই ছিল না-


ধোঁয়াশা হয়ে ছিল
ধোঁয়াশা হয়ে আছে
ধোঁয়াশা হয়ে থাকবে


*


মূল হিন্দি কবিতাঃ


कूद पड़ी हंजूरी कुएँ में


काम न मिलने पर
अपने तीन भूखे बच्चों को लेकर
कूद पड़ी हंजूरी कुएँ में
कुएँ का पानी ठंडा था।


बच्चों की लाश के साथ
निकाल ली गई हंजूरी कुएँ से
बाहर की हवा ठंडी थी।


हत्या और आत्महत्या के अभियोग में
खड़ी थी हंजूरी अदालत में
अदालत की दीवारें ठंडी थीं।


फिर जेल में पड़ी रही
हंजूरी पेट पालती
जेल का आकाश ठंडा था।


लेकिन आज अब वह जेल के बाहर है
तब पता चला है
कि सब-कुछ ठंडा ही नहीं था-


सड़ा हुआ था
सड़ा हुआ है
सड़ा हुआ रहेगा